013. Hindi poem - कामयाब होती कोशिशें

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013.कामयाब होती कोशिशें

मेरा दस महिने का बेटा
दस कदम आगे है मुझसे




ळोग कह्ते हैं, कि हम बच्चों के साथ कुछ कर नहीं पाते
जबकी वो ही हमें,हर पल कुछ करते रहने की प्रेणना, दे जाते हैं

न थकना न रुकना, बस कुछ करते रहेना
हर पल कुछ नया और पहेले से बेह्तर






मुह में कुछ डालना हो या उठाना हो कुछ ऊपर से
वो कार्य पूरा होने से पहेले, दम नहीं लेता

उसकी कोशिशें जारी रह्ती हैं,
काम पूरा होने तक

पर जब कामयाब हो जाता है ,
तो करता है नई मन्जिलों की तलाश
पर विराम किसी मन्जिल पर नहीं

बस रुकना नही ,करते जाना
एक चीज़ पाकर छोड़ना और आगे बड़ते जाना !

बस उसकी यही कामयाब होती कोशिशें
जिन्दगी में आगे बड़ने का साहस देती हैं

कभी तो लगता है कि मैं एक नदी हूं
और बहते जाना है

कभी धीमे, कभी तेज़
कभी समतल, कभी पथरीले


रास्तों पर बड़ते जाना

मुझे याद है, आज़ भी
उसकी उठने कि कोशिशें

फ़िर धीरे से खुद को घुट्नो पर सम्भाले रखना
किसी तरह आगे बड़ना और फ़िर रुक कर थमना

और कोशिश करना, खड़े होने की,
आगे बड़कर, हम सब की तरह चलने की

उस को लगता की हम बड़े है
पर हकीकत में,चल तो वो रहा है और हम खड़े है

जीवन के, एक एसे पड़ाव पर,जहां चलने से ज्यादा
रुकने का महत्व होता है

कुछ नया करने से पहले
बहुत कुछ सोचना होता है

ये हमारे बच्चे ही है
जिनके साथ हम अपना बचपन फ़िर से जी पाते है

और वोही हैं, जो हमारे जीवन में
पुन: नव चेतना ळाते हैं !!


This is an original poem and publishing first time in my blog and looking forward for better break ……..
Name of the Poem: कामयाब होती कोशिशें
Name of the Poet: Dr.Meenal Tiwari
Copyright: Original Author / Poet / Publisher



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                         मीनल

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