022.Hindi Poem - पराई हूं मैं

 एक नारी की ह्र्दय वेदना   
(अपनो के बींच पराई)

जन्म के साथ ही मां बाप ने,
पराई अमानत मान कर, 
पाल पोश कर बड़ा किया !
बड़ा होने पर,
पराए हाथों में सोंप दिया !
ऐसे हाथों में,
जिनके अपने, अपने थे,
और पराई थी मैं !!


इनकी मां ने,
विवाह के साथ ही, 
इनको समझाया था !
कि ये तो उन के अपने हैं,
क्योंकी इनको,
उन्हीने जाया था !!
कोई पराई जाई घर में आई थी,
तो वो थी मैं !
सब अपनों के बीच, 
सब के लिये पराई !!

एक नया जन्म,
मैं से, हम बनीं!
मेरे स्वभिमान का अन्त,
इनके अहमं में वृद्धि 
हमबिस्तर होने पर,
वस्तु सा बोध,
एक ऐसी वस्तु,
जो बाहर से आई थी !
इस्तमाल किये जाने पर भी, 
सबके लिये पराई थी !!

धीरे से अपने आप को,
इस परिवेश में सम्भाला था !
सब की जरूरतों के हिसाब से,
खुद को ढाला था !
जिनको पाने के लिये,
खुद को मिटा दिया !
समय - समय पर,
उन्होने भी जता दिया,
कि पराई हूं मैं !!

एक बार फ़िर जन्मी थी,
नई आशाओं और नव चेतनाओं के साथ !
मेरी कोख में,
इनका वंश पल रहा था !
मुझे पहिली बार जीवन में,
कुछ अपना सा लग रहा था !
बड़ी सिद्दत से सींचा था,
उस को भी मैंने !
पर जैसे ही बड़ा हुआ ,
एक बार फ़िर जता दिया गया,
कि वो तो उनका अपना है !
और पराई हूं मैं !!



This is an original poem and publishing first time in my blog and looking forward for better break …….. 



Name of the Poem:पराई हूं मैं

Name of the Poet: Dr.Meenal Tiwari
Copyright: Original Author / Poet / Publisher



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021.Hindi Poem-Brush Aur Canvas


This poem also has published before in “6th jan 2004
Auditorial Rastavod Jhansi.

Name of the Poem: “Brush Aur Canvas”
Name of the Poet:  Dr.Meenal Tiwari
Copyright:  Original Author / Poet / Publisher



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020.Hindi Poem-फ़र्क


Photography competition

Photography competition:-Dear viewers’ send me your original photography
Related with this poem no 016-फ़र्क
Publish on date 28.febury 2012 and email me on this email id-meenalcreations.blogspot.in@gmail.com
If it will select then I will publish on my blog with your name.
No age limit
You can send maximum photos –Five
Size of the photo -640/480 pixels
Last date of the sumition-15 April 2012
Result will be display _1 May 2012


020.Poem-फ़र्क

लड़के और लड़कियों में दुनिया फ़र्क करती है

मम्मी भी फ़र्क करती हैं,लड़कों से लाड़ लड़ाती है
और लड़कियों को मन की हर बात बताती हैं !!

पापा भी फ़र्क करते हैं,खुद बेटी के जूते पांलिश करतें हैं
और बेटे से अपने भी करा लिया करते हैं !!

एक दिन छुट्टी लेने पर ,मैडम भी फ़र्क करती हैं
लड़कियों को नोटबुक और लड़कों को डाट दिया करती हैं !!

दादा-दादी भी फ़र्क करते हैं,बेटियों के पैर छुआ करते हैं
और बेटों से अपने छुलवा लिया करते हैं !!

नवदुर्गाओं में आन्टी भी फ़र्क करती है,लड़कियों को अन्दर बुलाकर गिफ़्ट दिया करती हैं
और लड़को को लन्गूर कहा करती है !!

मन्दिर का पुजारी भी फ़र्क करता है,लड़कियों को फ़ूल,प्रसाद
और लड़को को तुलसी जल दिया करता है !!

दुकानदार भी फ़र्क करते हैं,खुल्ले पैसे मांगने पर
लड़कियों को दे देते हैं और लड़कों को मना करते हैं !!

ट्रेफ़िक पुलिस भी फ़र्क करती है,लड़कियों से गलती होने पर छोड़ दिया करती है
लड़को से गलती होने पर चालान लिया करती है !!

आंफ़िस में बास भी फ़र्क किया करते है,लड़कियों से अच्छे से बात किया करते हैं
 और लड़को को बस काम के बोझ तले दबा दिया करते हैं !!



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019. Hindi Poem-जीवन

जीवन में बड़ी काम आती हैं
बच्चों की यै कोशिशें



जैसे दर्द सहिना और चुप रहिना



 नीदं में भी जगना और सन्तुलन बनाये रखना


कुछ खाना और कुछ पाना


हर हाल में हस्ते हस्ते जीवन बीताना !!




Name of the Poem: 
जीवन

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013. Hindi poem - कामयाब होती कोशिशें

Thanks for your visit .Today’s addition in my original hindi poems:- 



013.कामयाब होती कोशिशें

मेरा दस महिने का बेटा
दस कदम आगे है मुझसे




ळोग कह्ते हैं, कि हम बच्चों के साथ कुछ कर नहीं पाते
जबकी वो ही हमें,हर पल कुछ करते रहने की प्रेणना, दे जाते हैं

न थकना न रुकना, बस कुछ करते रहेना
हर पल कुछ नया और पहेले से बेह्तर






मुह में कुछ डालना हो या उठाना हो कुछ ऊपर से
वो कार्य पूरा होने से पहेले, दम नहीं लेता

उसकी कोशिशें जारी रह्ती हैं,
काम पूरा होने तक

पर जब कामयाब हो जाता है ,
तो करता है नई मन्जिलों की तलाश
पर विराम किसी मन्जिल पर नहीं

बस रुकना नही ,करते जाना
एक चीज़ पाकर छोड़ना और आगे बड़ते जाना !

बस उसकी यही कामयाब होती कोशिशें
जिन्दगी में आगे बड़ने का साहस देती हैं

कभी तो लगता है कि मैं एक नदी हूं
और बहते जाना है

कभी धीमे, कभी तेज़
कभी समतल, कभी पथरीले


रास्तों पर बड़ते जाना

मुझे याद है, आज़ भी
उसकी उठने कि कोशिशें

फ़िर धीरे से खुद को घुट्नो पर सम्भाले रखना
किसी तरह आगे बड़ना और फ़िर रुक कर थमना

और कोशिश करना, खड़े होने की,
आगे बड़कर, हम सब की तरह चलने की

उस को लगता की हम बड़े है
पर हकीकत में,चल तो वो रहा है और हम खड़े है

जीवन के, एक एसे पड़ाव पर,जहां चलने से ज्यादा
रुकने का महत्व होता है

कुछ नया करने से पहले
बहुत कुछ सोचना होता है

ये हमारे बच्चे ही है
जिनके साथ हम अपना बचपन फ़िर से जी पाते है

और वोही हैं, जो हमारे जीवन में
पुन: नव चेतना ळाते हैं !!


This is an original poem and publishing first time in my blog and looking forward for better break ……..
Name of the Poem: कामयाब होती कोशिशें
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012. Hindi Poem - शुन्य


I am presenting this week some Hindi poems of mine and related videos.

शिवरात्रि पर्व पर शिव को समर्पित मेरी एक कविता

शुन्य

मेरे इर्द गिर्द एक मुस्तफा सी आवाज़ हो तुम ,,

एक अनकहा और अनसुना,

अलफ़ाज़ हो तुम !



एक अनजाना,अनचाहा,

पर मनचाहा एहसास हो तुम,

एक रुहु या फिर एक जमीर हो तुम,

तुम जो भी हो, मेरे इर्द गिर्द ही मोजूद हो तुम !



मेरे पास हो तुम ,एक एहसास हो तुम

पर फिर भी में तुम्हे सुन नही सकती ?

जबकि मेरी हर धड़कन की आवाज हो तुम !



आखिर तुम हो कोंन ?

किधर से आते हो और किधर चले जाते हो ?

खुद में एक खुआब होते हुए भी,

मुझे हकीकत का बोध कराते हो !



तुम देते हो दस्तक, मेरे जमीर को,

मेरे हर कर्म से पहिले ,

तुम ही देते हो मुझे एक शब्दकोष,

जिंदगी की हर नज्म से पहिले !



तुम्हारे रुहु की खुशबू '

इन बहारो में छिपी है !

तुम्हारे वजूद की मोजूदगी ,

अफताब और महताब में भी कही है !

तुम्हारा अंत कभी हो नहीं सकता ,

पर जाने क्यों ?

तुम्हारे जन्म की कोई दस्तान भी तो नहीं है !!


This poem also has published before in “Vama magazine in the February, 2003 edition page no- 85.

Name of the Poem: Shoonya
Name of the Poet:  Dr.Meenal Tiwari
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