I am presenting this week some Hindi
poems of mine and related videos.
शिवरात्रि पर्व पर शिव को समर्पित मेरी एक कविता
शुन्य
मेरे इर्द गिर्द एक मुस्तफा सी आवाज़ हो तुम ,,
एक अनकहा और अनसुना,
अलफ़ाज़ हो तुम !
एक अनजाना,अनचाहा,
पर मनचाहा एहसास हो तुम,
एक रुहु या फिर एक जमीर हो तुम,
तुम जो भी हो, मेरे इर्द गिर्द ही मोजूद हो तुम !
मेरे पास हो तुम ,एक एहसास हो तुम
पर फिर भी में तुम्हे सुन नही सकती ?
जबकि मेरी हर धड़कन की आवाज हो तुम !
आखिर तुम हो कोंन ?
किधर से आते हो और किधर चले जाते हो ?
खुद में एक खुआब होते हुए भी,
मुझे हकीकत का बोध कराते हो !
तुम देते हो दस्तक, मेरे जमीर को,
मेरे हर कर्म से पहिले ,
तुम ही देते हो मुझे एक शब्दकोष,
जिंदगी की हर नज्म से पहिले !
तुम्हारे रुहु की खुशबू '
इन बहारो में छिपी है !
तुम्हारे वजूद की मोजूदगी ,
अफताब और महताब में भी कही है !
तुम्हारा अंत कभी हो नहीं सकता ,
पर न जाने क्यों ?
तुम्हारे जन्म की कोई दस्तान भी तो नहीं है !!
Name of the Poem: Shoonya
Name of the Poet: Dr.Meenal Tiwari
Copyright: Original Author / Poet / Publisher
This poem also has published before in “Vama magazine
in the February, 2003 edition page no- 85.
Name of the Poem: Shoonya
Name of the Poet: Dr.Meenal Tiwari
Copyright: Original Author / Poet / Publisher
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updates………. मीनल
your creations blog are really wonderful.
ReplyDeleteone day,I wish you rule the world