शिव को प्रसन्न करने के आसान उपाय
भगवान शिव को आशुतोष (तत्काल प्रसन्न होने वाले) कहा गया है। वे जल व बिल्वपत्र से ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं। शिव महापुराण में कहा गया है कि -
त्रि दलम् त्रि गुणाकारम्, त्रि नेत्रम् च त्रयायुधम्।
त्रि जन्म पाप संहारम्, एक बिल्व शिर्वापणम्॥
अर्थात् - तीन दलों (पत्तियों) से युक्त एक बिल्वपत्र जो हम शिव को अर्पण करते हैं, वह हमारे तीन जन्मों के पापों का नाश करता है तथा त्रिगुणात्मक शिव की कृपा भौतिक संसाधनों से युक्त होती है। अत: श्रावण मास में भगवान भोले को इनके अर्पण करने से अधिक फल प्राप्त होता है।
श्रावण माह के अंतर्गत प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर शिवामुट्ठी चढ़ाई जाती है। जिसमें :-
* प्रथम सोमवार को कच्चे चावल एक मुट्ठी चढ़ाना शुभ होता है।
* दूसरे सोमवार को सफेद तिल्ली एक मुट्ठी चढ़ाया जाता है।
* तीसरे सोमवार को खड़े मूंग की एक मुट्ठी चढ़ाना चाहिए।
* चौथे सोमवार को जौ एक मुट्ठी चढ़ाने का महत्व है।
* ...और श्रावण मास में अगर पांचवां सोमवार भी आ जाता है, तो सतुआ चढ़ाने का महत्व हैं।
भगवान शिव को आशुतोष (तत्काल प्रसन्न होने वाले) कहा गया है। वे जल व बिल्वपत्र से ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं। शिव महापुराण में कहा गया है कि -
त्रि दलम् त्रि गुणाकारम्, त्रि नेत्रम् च त्रयायुधम्।
त्रि जन्म पाप संहारम्, एक बिल्व शिर्वापणम्॥
अर्थात् - तीन दलों (पत्तियों) से युक्त एक बिल्वपत्र जो हम शिव को अर्पण करते हैं, वह हमारे तीन जन्मों के पापों का नाश करता है तथा त्रिगुणात्मक शिव की कृपा भौतिक संसाधनों से युक्त होती है। अत: श्रावण मास में भगवान भोले को इनके अर्पण करने से अधिक फल प्राप्त होता है।
श्रावण माह के अंतर्गत प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर शिवामुट्ठी चढ़ाई जाती है। जिसमें :-
* प्रथम सोमवार को कच्चे चावल एक मुट्ठी चढ़ाना शुभ होता है।
* दूसरे सोमवार को सफेद तिल्ली एक मुट्ठी चढ़ाया जाता है।
* तीसरे सोमवार को खड़े मूंग की एक मुट्ठी चढ़ाना चाहिए।
* चौथे सोमवार को जौ एक मुट्ठी चढ़ाने का महत्व है।
* ...और श्रावण मास में अगर पांचवां सोमवार भी आ जाता है, तो सतुआ चढ़ाने का महत्व हैं।
No comments:
Post a Comment